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माघ माह की गुप्त नवरात्रि,नवरात्रि का अर्थ है देवी को समर्पित नौ पवित्र रातें

पानीगांव। एक वर्ष में चार नवरात्रि आती है जिसमे से दो जागृत और दो गुप्त नवरात्री होती है | जो माघ मास की गुप्त नवरात्री होती है यह नवरात्रि विशेष होती है क्योकि यह वर्ष की अंतिम नवरात्री होती है | अंग्रेजी वर्ष के अनुसार तो यह पहली नवरात्री है परन्तु भारतीय पंचांग के अनुसार यह गुप्त नवरात्री अंतिम नवरात्री होती है क्यों की हमारा हिन्दू नव वर्ष चैत्र मास से आरम्भ होता है और इसमें एक विशेष दिन आता है और वह है बसंत पंचमी का दिन |इस दिन विद्यार्थी को मां सरस्वती की विशेष पूजा करना चाहते हैं पीला वस्त्र पहनना चाहिए माता सरस्वती को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए | इस गुप्त नवरात्री में की गयी पूजा पाठ जप साधना आदि जल्दी सिद्ध होते है | गुप्त नवरात्री में विशेष कर तांत्रिक क्रिया होती है जिसमे तांत्रिक साधना करके अपने मंत्र सिद्ध करते है साधक विशेष रूप से दस महा विद्याओं की उपासना करते है।दस महा विद्या के नाम :-
1. श्री काली
2. श्री तारा
3. श्री षोडसी विद्या( महात्रिपुर सुंदरी )
4 श्री भुवनेश्वरी
5. श्री त्रीपुर भैरवी
6. श्री छिन्नामस्ता
7. श्री धूमावती
8. श्री बगलामुखी
9. श्री मातंगी
10. श्री कमलात्मिका ( लक्ष्मी )

इस वर्ष माघ मास की गुप्त नवरात्रि का आरम्भ 10-2-24 को हो चूका है जिसका समापन 18-2-24 को होगा | इस नवरात्री में एक विशेष मुहूर्त प्राप्त होता है जो है बसंत पंचमी इस दिन कोई भी गृह प्रवेश या कोई बड़े कार्य का आरम्भ या कोई वस्तु लेनी है तो इस दिन सभी शुभ कार्य कर सकते है।इस गुप्त नवरात्री में जो भी भक्त देवी की विशेष उपासना करना चाहते है उन्हें अपने घर में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए अथवा करवाना चाहिए अगर ऐसा नहीं कर पाते है तो देवी के मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।

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