पानीगांव | नाग पंचमी एक पौराणिक त्यौहार है जिसे अनादि काल से हमारी संस्कृति में मनाया जाता है नागों की उत्पत्ति कश्यप ऋषि से हुई थी।
वराह पुराण के अनुसार जिस दिन ब्रह्मा जी ने शेष नाग को पृथ्वी को धारण करने की सेवा दी वह यही पंचमी की तिथि थी इस दिन से नागो के सम्मान में यह त्यौहार मनाया जाने

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इस त्यौहार का वर्णन श्रीमद भागवत महापुराण के अनुसार अर्जुन के पौत्र परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी। इससे परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने नागों के विनाश के लिए यज्ञ शुरू कर दिया तब आस्तिक मुनि ने यह यज्ञ जिस दिन रुकवाया था वह भी यही पंचमी का दिन था कहते हैं तब से ही नाग पंचमी की प्रथा शुरू हुई थी।


यजुर्वेद की अनेक ऋचाओं में नागो की स्तुति मिलती है।
अग्नि पुराण में लगभग 80 नाग कूलों का वर्णन मिलता है
हमारी संस्कृति में प्रारम्भ से ही नागों को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
जैसे –
1- भगवन विष्णु की शैया भी शेषनाग की है।
2- देवता और दानवों को अमृत निकालना था तब भी वासुकी नाग ने ही अपना शरीर इस सेवा में समर्पित किया था।
3- और शिव जी भी नागों को आभूषण की तरह धारण करते हैं।
इस दिन सर्पों की पूजा करने से मनुष्य को सर्पो के भय से मुक्ति मिलती है तथा पुण्य की प्राप्ति होती है।