
भोपाल। भाजपा ने आधी आबादी को पूरी तरह से अपने पाले में करने के लिए अब प्रदेश में उन्हें अघोषित रुप से 33 फीसदी आरक्षण देना लगभग तय कर लिया है। इसके लिए संगठन स्तर पर तैयारियां भी तेज कर दी गई हैं। भाजपा की यह रणनीति चुनाव के दौरान मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल वाली मानी जा रही है। इस मामले में पार्टी हाईकमान द्वारा प्रदेश संगठन को संकेत दिए जा चुके हैं। यही वजह है कि अब प्रदेश संगठन तमाम विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज कर सकने वाली महिलाओं की तलाश में जुट गया है। बेहद अहम बात यह है कि मौजूदा उन भाजपा महिला विधायकों की भी टेंशन समाप्त हो गई है, जिन्हें लग रहा था कि कहीं उनका टिकट न काट दिया जाए। इस कवायद से माना जा रहा है कि पार्टी इस बार शेष प्रत्याशियों की घोषणा में महिलाओं को प्राथमिकता देगी, जिससे कम से कम 33 न सही लेकिन उनका प्रतिशत दोगुना तो हो ही जाए। अगर बीते दो दशक की बात की जाए तो प्रदेश में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 10 फीसदी से ज्यादा महिलाओं को कभी टिकट नहीं दिए हैं। अगर बीते चुनाव के ही आंकड़ों को देख जाए तो भाजपा ने कुल 24 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया था, जिसमें से महज 11 महिलाओं को ही जीत मिल सकी थी। प्रदेश में इस बार शिवराज सकार का पूरा फोकस आधी आबादी यानी की महिलाओं पर ही बना हुआ है। उनका साथ पाने के लिए सरकार द्वारा बीते कुछ समय में कई योजनाओं को शुरू किया गया है, जिसमें लाड़ली बहना, उज्जवला योजना और रसोई गैस की कीमतों को कम करना शामिल है। इससे भी पार्टी को लगता है कि उसका महिलाओं में प्रभाव बढ़ा है। गौरतलब है कि लोकसभा व राज्य सभा में महिला आरक्षण बिल पास होते ही मप्र में भाजपा नेत्रियों की चुनावी हसरतें बढ़ गई हैं। ऐसा होना स्वाभाविक भी है। यह बात अलग है कि आरक्षण लागू होने की प्रक्रिया में अभी दो-ढाई साल लगने की संभावना जताई जा रही है ,क्योंकि इसके पहले परिसीमन और जनगणना होना बाकी है। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठन इस बार चुनावी मैदान में महिला कैंडिडेट ज्यादा उतारेगी। यह संख्या 35-40 भी हो सकती है, सके लिए चुनावी सर्वे रिपोट्र्स के आधार पर जिताऊ महिला प्रत्याशियों की तलाश तेज हो गई है।

भाजपा ने कब कितनी महिलाओं को दिया टिकट
भाजपा ने 2003 में 18 महिलाओं को टिकट दिए थे जिनमें से 15 को सफलता मिली थी। 2008 में 23 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरीं, जिनमें से 15 विजयी रहीं। 2013 में भी 23 को टिकट मिले, जिनमें से 17 को जीत हासिल हुई जबकि, 2018 में 24 महिला नेत्री चुनाव मैदान में उतरीं जिनमें से 11 को ही सफलता मिली। बीते चुनाव में जिन्हें जीत मिली थी , उनमें यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी, मनीषा सिंह जैतपुर, मानपुर मीना सिंह, नंदनी मरावी सिहोरा, राजश्री सिंह शमशाबाद, कृष्णा गौर गोविंदपुरा, लीना संजय जैन बासौदा, गायत्री राजे पवार देवास, मालिनी गौड़ इंदौर – 4, उषा ठाकुर आंबेडकर नगर महू, नीना वर्मा धार शामिल हैं।
पहली सूची में फिलहाल 9 प्रतिशत की भागीदारी
भाजपा ने अपनी हारी हुई 103 सीटों में से 39 क्षेत्रों के लिए प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। इसमें 4 महिला प्रत्याशियों के भी नाम हैं। दूसरी सूची को लेकर विचार मंथन पूरा हो चुका है। अब ऐसी संभावना जताई जा रही है, कि पार्टी हारी हुई सीटों पर भी ज्यादा महिला प्रत्याशियों पर दांव लगा सकती है। गौरतलब है कि प्रदेश के 41 जिले ऐसे हैं,जहां महिला वोटर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। प्रदेश में कुल वोटर्स की संख्या 5.52 करोड़ है जिसमें 2.67 महिलाएं हैं।