
• प्रधान सम्पादक / दैनिक आवाज़ | प्रदेश में चुनावी परिणाम आने के पहले प्रशासनिक मुखिया यानी की मुख्य सचिव का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। उनका कार्यकाल ऐसे समय समाप्त होगा , जब प्रदेश में चुनावी परिणाम आने में महज तीन दिन का ही समय रह जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि अब मौजूदा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को एक और कार्यकाल का अवसर नहीं मिल सकेगा। इसकी वजह से एक बार फिर प्रदेश की प्रशासनिक कमान मातृ शक्ति को मिल सकती है। अगर ऐसा होगा तो यह मौका प्रदेश में करीब तीन दशक बाद आएगा।
दरअसल मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की दूसरी सेवावृद्धि की अवधि आगामी तीस नवम्बर को समाप्त हो रही है। इसके साथ नए मुख्य सचिव को लेकर प्रशासनिक से लेकर सियासी गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि प्रदेश में अगले प्रशासनिक मुखिया के नाम को लेकर चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। शायद प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि मतदान के दिन इकबाल सिंह बैंस और मतगणना के दिन दूसरा मुख्य सचिव होगा। गौरतलब है कि प्रदेश में 17 नवम्बर को मतदान है, जबकि मतगणना आगामी तीन दिसम्बर को होनी है। नए मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार द्वारा तीन वरिष्ठ अफसरों के नामों का पैनल चुनाव आयोग को भेजा जाएगा। इसमें वरिष्ठता के आधार पर चुनाव आयोग नए मुख्य सचिव की नियुक्ति की अनुमति दे सकता है। अगर वरिष्ठ अफसरों की बात की जाए तो, इसमें पहला नाम 1988 बैच की आईएस अफसर वीरा राणा का है। उनके बाद 1989 बैच के मोहम्मद सुलेमान और इसी बैच के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार का नाम है। वरिष्ठता के चलते आयोग माध्यमिक शिक्षा मंडल की अध्यक्ष श्रीमती वीरा राणा को राज्य का नया मुख्य सचिव बना सकता है। यदि श्रीमती राणा मुख्य सचिव बनती है तों, तैंतीस साल बाद कोई महिला अधिकारी प्रदेश में प्रशासन की मुखिया बनेगी। इसके पूर्व वर्ष 1990 में भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय स्वर्गीय सुन्दरलाल पटवा के शासन काल में श्रीमती निर्मला बुच मध्य प्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव बनीं थी। नई सरकार के गठन के बाद नए मुख्यमंत्री तय करेंगे कि उस समय के मुख्य सचिव को ही आगे काम करने दिया जाए या किसी नए अधिकारी को मुख्य सचिव बनाया जाए।