•जबलपुर / विधिक आवाज़। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच क्रमांक 2 के समक्ष दिनांक 03/05/2024 को सब इंजीनियरों की भर्ती में होल्ड अभ्यर्थियों की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि महाधिवक्ता कार्यालय उक्त याचिकाओं में विगत 08 महीनो से समय लिया जा रहा है तथा उक्त याचिकाओं में जवाब दाखिल नहीं कर रहे न ही ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों को निराकृत करवाने में कोई रूची ले रहे है, न ही उक्त प्रकरणों के निराकरण में महाधिवक्ता न्यायलय का सहयोग कर रहे है बल्कि ओबीसी के सैकड़ों मामलो को महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा उलझा के रखे हुए है तथा आरक्षण कानून के विरोध में तथा हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशो की गलत व्याख्या करके शासन को गलत अभिमत देकर ओबीसी आरक्षण के विरोध में कार्य कर रहे है। साक्ष्य के तौर पर महाधिवक्ता के अभिमत को याचिका में संलग्न किया गया है, तथा हाईकोर्ट को बताया गया की महाधिवक्ता एक संवैधानिक पद है तथा प्रदेश का लोक अभियोजक है ।जिसकी जिम्मेवारी भारतीय संविधान और राज्य के विधान सभा द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुरूप कार्य करने का दायित्व है।इसके बदले मध्य प्रदेश सरकार के संचित निधि अर्थात पब्लिक फंड से भारी भरकम सेलरी दी जाती है। लेकिन महाधिवक्ता ओबीसी वर्ग के हितों से संबंधित शासन के कानूनों की प्रतिरक्षा नहीं करते, न ही समय सीमा में लिखित जवाब दाखिल करते है तथा भ्रमित करने उद्देश्य से न्यायालय द्वारा पारित ऐसे असंगत आदेशों पर ध्यान आकर्षित किया जाता जो याचिका में उठाए गए मुद्दों से सुसंगत नहीं है उनको रेखांकित करके कोर्ट को गुमराह किए जाने का कार्य करके ओबीसी के लाखो युवाओं के स्वर्णिम भविष्य के बर्बाद करने का दुर्भावना पूर्ण कार्य किया जाता हैं। उक्त समस्त तर्क दिनांक 03/05/24 को खुले न्यायालय में ओबीसी के होल्ड अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिकाओं WP15365/23,15822/23,18070/23,18524/23,19601/23 में पक्ष रख रहे ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह कोर्ट को बताया। उक्त समस्त मामलो में महाधिवक्ता कार्यालय को एक सप्ताह के अंदर जवाब देने आखिरी मौका दिया गया ।