मध्यप्रदेश में 2020 में बना था फायर एक्ट ड्राफ्ट | अब तक नहीं हुआ लागू
•भोपाल। हरदा की पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद कई लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों लोग घायल हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रालय में सभी कलेक्टरों को उनके जिले में संचालित पटाखा फैक्ट्री का संचालन नियमों के अनुसार हो रहा या नहीं, इसकी शर्तों के अनुसार जांच कर रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने कहा कि सभी कलेक्टर 24 घंटे में रिपोर्ट गृह विभाग को भेजेंगे। लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या इससे आग लगने से होने वाले हादसे रूकेंगे। यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि मप्र में फायर एक्ट लागू नहीं है।गौरतलब है कि प्रदेश में जब भी आग लगने से बड़े हादसे होते हैं तब-तब फायर एक्ट लागू करने की चर्चा तेज हो जाती है। लेकिन विडंबना यह है कि 2020 में बना फायर एक्ट ड्राफ्ट अब तक लागू नहीं हो पाया है। सतपुड़ा भवन में लगी आग के बाद सरकार द्वारा गठित कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। जांच कमेटी द्वारा सौंपी गई 287 पन्नों की रिपोर्ट में सरकार को कई सुझाव भी दिए थे। कमेटी ने प्रदेश में फायर एक्ट लागू किए जाने और फायर एंड सर्विसेज के लिए अलग से विभाग बनाए जाने का सुझाव सरकार को दिया था। साथ ही एसडीईआरएफ की इकाइयां शुरू किए जाने और उन्हें आधुनिक मशीनें देकर बहुमंजिला भवनों की अग्निशमन की ट्रेनिंग दिलाए जाने का सुझाव था। लेकिन उस पर भी अब तक अमल नहीं हो पाया है।गौरतलब है कि देश के 26 राज्यों में फायर एक्ट लागू हो चुका है, लेकिन मप्र में इसे अब तक लागू नहीं किया गया है। चौकाने वाली बात यह है कि प्रदेश में वर्ष 2020 में फायर एक्ट का ड्राफ्ट बनकर तैयार हो चुका है। इसके बाद भी इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका।इससे एक साल पहले भी साल 2019 में फायर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार हो गया था। इसके बाद केंद्र सरकार के फायर एक्ट में हुए संशोधन को शामिल करते हुए दोबारा भी ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। केंद्र सरकार ने साल 2016 में मप्र में फायर एक्ट लागू किए जाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रदेश के आला अधिकारियों की तीन साल तक बैठकें होती रहीं। तब जाकर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया गया, लेकिन इसे लागू अब तक नहीं किया जा सका। अगर फायर एक्ट पहले ही लागू हो जाता तो शायद सतपुड़ा की आग पर समय रहते काबू पाया जा सकता है।वर्तमान में लोक निर्माण विभाग के कैपिटल प्रोजेक्ट के पास अग्निशमन की जिम्मेदारी है। शहरी क्षेत्रों में नगरीय प्रशासन विभाग अग्नि सुरक्षा का काम देखता है, लेकिन सभी तरह की अग्नि दुर्घटनाओं के मामले में प्रारंभिक सुरक्षा से लेकर आपदा नियंत्रण पर केंद्रीयकृत नियंत्रण वाला कोई अलग विभाग मध्यप्रदेश में नहीं है। अभी यह नियम है कि 15 मीटर से ऊंचे भवन, एक फ्लोर 500 वर्गमी से अधिक निर्माण, 50 से अधिक पलंग-बिस्तर वाले होटल व अस्पताल का उपयोग करने के पहले फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य, यह तीन साल के लिए रहेगा, इस दौरान प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 30 जून तक फायर ऑडिट रिपोर्ट पेश करना होगी। फायर ऑफिसर को दस फीसदी रिपोर्ट का रैंडम चयन कर औचक निरीक्षण करना होगा। सर्टिफिकेट रिन्यू कराने नए सिरे से आवेदन करना होगा। नई बिल्डिंग के लिए निर्माण की अनुमति के साथ ही फायर सेफ्टी प्लान का अनुमोदन अग्निशमन प्राधिकारी करेगा।
केंद्र सरकार ने साल 2016 में मप्र में फायर एक्ट लागू किए जाने के निर्देश दिए थे,अधिकारियों की तीन साल तक बैठकें होती रहीं। तब जाकर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया गया, लेकिन इसे लागू अब तक नहीं किया जा सका।
हरदा हादसे के बाद फिर मॉडल फायर मेंटेनेंस एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट की जरूरत पर चर्चा होने लगी है। स्थिति यह है कि देश के कई राज्य कुछ संशोधनों के साथ इसे लागू कर चुके हैं, लेकिन मप्र में तीन साल से अधिक समय से सरकार के पास अटका हुआ है। इसकी अहमियत समझते हुए उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला एक्ट लागू करने के लिए नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को नोटशीट भी लिख चुके हैं। केंद्र ने भी जल्द इसे अमल में लाने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने सभी प्रदेशों में अग्नि दुर्घटनाओं की रोकथाम में एकरूपता लाने के लिए एक समान फायर एक्ट लागू करने के निर्देश दिए थे। मॉडल फायर एक्ट का प्रारूप बना कर भी राज्यों को भेजा गया था। इसके आधार पर राज्य ने मप्र फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट, 2019 का प्रस्ताव तैयार किया था। इसे वर्ष 2020 में जारी कर सुझाव, आपत्ति मांगे गए थे। तब से यह सरकार के पास ही अटका है। आचार संहिता के पहले लागू करना : उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2019 और मॉडल फायर मेंटेनेंस व इमरजेंसी सर्विस एक्ट, 2019 मप्र में लागू करने के लिए नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को लिखा है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री की मंशानुसार अन्य प्रदेशों में इन अधिनियमों को संशोधित कर लागू किया जा चुका है, लेकिन मप्र में अब तक नहीं हो पाया है। दोनों अधिनियमों पर अमल करने का प्रारूप नगरीय प्रशासन कमिश्नर, नगरीय विकास विभाग को भेज चुके हैं। ऐसे में आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पहले इन एक्ट के आदेश जारी करना उचित होगा।