कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग बर्दास्त नहीं: हाईकोर्ट
•भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका क्रमांक 9817/2023 के याचिका कर्ता भानुप्रताप सिंह तोमर जो की MPPSC के अभ्यर्थी है, इन्होने उक्त याचिका दाखिल करके आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान् अभ्यर्थियों को पीएससी के प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा में, अनारक्षित वर्ग में शामिल नहीं किए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है तथा राज्य सेवा परीक्षा नियमो में मध्य प्रदेश शासन द्वारा कमलनाथ सरकार द्वारा उक्त नियमो में दिनांक 17/02/2020 किए गए संशोधन को निरस्त करके दिनांक 20/12/2021 को संशोधन करके व्यवस्था की गई है कि चयन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में अनारक्षित पदों को सभी वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों से भरे जाने की व्यवस्था पुनः स्थापित किया गया है।जिसके अनुसार PSC 2019 से 2023 तक समस्त भर्ती परीक्षाओ में लागू किए जा चुके है। लेकिन याचिका कर्ता उक्त व्यवस्था से पीड़ित होकर हाईकोर्ट में अधिवक्ता अंशुल तिवारी,एड.पराग तिवारी,एड.सुप्रिया सिंह, एड.काजी फकरुद्दीन, के माध्यम याचिका दाखिल की गई है।जिसमे हाईकोर्ट दिनांक 27/4/2023 को नोटिस जारी करके अनावेदक मध्य प्रदेश शासन विधि एवं विधायी कार्य विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग,गृह मंत्रालय, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से जबाब तलब किया गया था। तत्पश्चात् अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा ओबीसी/एस सी /एस टी एकता मंच तथा दीपक पटेल की ओर से हास्तेक्षेप याचिका क्रमांक 5914/2023 दाखिल की गई, उक्त याचिका स्वीकार करके डिवीजन बैंच ने ओबीसी /एस सी / एस टी एकता मंच को अनावेदक क्रमांक 5 तथा दीपक पटेल को अनावेदक क्रमांक 6 के रूप में संयोजित /जोड़े जाने का दिनांक 24/7/23 को आदेश पारित किया गया तथा उक्त दोनों हतेक्षेप कर्ताओ को याचिका में उठाये गए मुद्दों पर जबाब दाखिल करने का अवसर दिया गया है। याचिका कर्ता की ओर से PSC भर्तियों में ओबीसी एस सी तथा एस टी के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में शामिल किए जाने से रोका जाए। हाईकोर्ट ने उक्त आवेदन दिनांक 23/9/23 को ख़ारिज कर दिया गया तत्पष्यात याचिका कर्ता द्वारा पुनः दिनांक 26/12/23 दूसरा आवेदन दाखिल किया जाकर ख़ारिज आवेदन के समरुप राहत चाही गई थी।उक्त याचिका की आज दिनांक 08/02/24 को चीफ जस्टिस श्री रवि मालिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की खंड पीठ ने याचिका कर्ता के उक्त कृत्य को काफ़ी गंभीरता से लेते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग वर्दास्त नहीं किया जाएगा,तथा याचिका कर्ता पर 20 हजार का जुर्माना लगाकर उक्त आवेदन निरस्त कर दिया तथा जुर्माने की राशि की बसूली हेतु उक्त प्रकरण क्रमांक 9817/2023 दिनांक 16/02/24 नियत कि गई है।