विधिक : शिक्षक भर्ती में सरकार के कृत्य को हाईकोर्ट ने आड़े हाथो लिया, आगामी सुनवाई पूर्व कोर्ट को बताये पहले विज्ञापन के समय कुल कितने पद थे रिक्त तथा अगल अलग चरणों में क्यों की भर्ती प्रक्रिया : हाईकोर्ट
•जिन अभ्यर्थियों को ट्रायबल स्कूल ने किया चयनित, उन्ही अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग ने भी कर लिए चयनित तथा एक माह की सेलरी जमा करके अभ्यर्थी चाहे तो ट्रायबल से स्कूल तथा स्कूल शिक्षा से ट्रायबल में ज्वाइन करने की दी थी स्वंत्रता,लेकिन याचिका कर्ताओ को नहीं दी गई स्वंत्रता !
• शिक्षकों की भर्तियों में स्कूल शिक्षा विभाग के कृत्य को हाईकोर्ट ने बताया मनमाना !
• मध्य प्रदेश में माध्यमिक शिक्षकों के 60686 पद है स्वीकृत फिर अलग अलग चरणों में क्यों की गई भर्तियां : हाईकोर्ट !
• मध्य प्रदेश में उच्च माध्यमिक (हाई स्कूल ) शिक्षकों के 34789 पद स्वीकृत है, माध्यमिक शिक्षकों (मिडिल स्कूल टीचर ) के 60686 तथा प्राथमिक शिक्षकों के 125243 पद स्वीकृत है वर्तमान में लगभग 63% नियमित पद रिक्त है जबकि राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 के प्रावधानो तथा NCTE की गाइड लाइन के तहत 10% से अधिक पद रिक्त नहीं रखे जा सकते क्योकि संविधान के अनुच्छेद 21A में शिक्षा का मौलिक अधिकार नागरिकों को प्रदत्त है। फिर भी स्कूल शिक्षा विभाग कर रहा है मनमानी : अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर।
•जबलपुर। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा की गई शिक्षको की भर्तियों मे की गई व्यापक पैमाने पर अनियमितता तथा धांधलियों से व्यथित अभ्यर्थी माननीय हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल करके स्कूल शिक्षा विभाग की नाकामी तथा तानाशाही पूर्ण रवैया को लेकर याचिका दाखिल करके चुनौती दे रहे हैं। ठीक इसी प्रकार का मामला 600 से अधिक माध्यमिक शिक्षकों द्वारा तीन दर्जन से अधिक याचिकाएं दाखिल करके स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अपनाई गई असंवैधानिक प्रक्रिया को चुनौती दी है।उक्त समस्त अभ्यर्थी ट्राईबल वेलफेयर डिपार्टमेंट में दो वर्षों से अधिक अवधि से नियुक्ति प्राप्त कर कार्य कर रहे हैं।उन्हीं अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सिलेक्ट लिस्ट जारी करके भर्ती की समस्त अपनाकर अंत में यह कहते हुए नियुक्ति नहीं दी गई की याचिका कर्ता पहले से ट्रायबल वेलफेयर विभाग में पदस्थ है।जबकि इसी भर्ती में हजारो अभ्यर्थियों को एक माह का वेतन जमा करवा करके स्कूल शिक्षा विभाग से ट्राईबल वेलफेयर डिपार्टमेंट में तथा ट्राईबल वेलफेयर डिपार्टमेंट से स्कूल शिक्षा विभाग में ज्वाइन करने का अवसर दिया गया था लेकिन याचिकाकर्ता को उक्त अवसर देने से साफ इनकार कर दिया गया।तब समस्त व्यथित पक्षकारों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में तीन दर्जन से अधिक याचिकाएं दाखिल करके स्कूल शिक्षा विभाग की उक्त प्रक्रिया को भेदभाव पूर्ण तथा असंवैधानिक बताया गया।उक्त समस्त 44 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति श्री विशाल धगट की खंडपीठ द्वारा की गई।सुनवाई के दौरान खंडपीठ याचिका कर्ताओं के तर्को से सहमत होकर, शासन द्वारा अपनाई भर्ती प्रक्रिया को भेदभावपूर्ण माना तथा मध्य प्रदेश शासन के उक्त कृत्य को आधे हाथों लेते हुए माननीय हाई कोर्ट द्वारा कहा गया कि शासन सर्वप्रथम यह बताएं कि तत समय कुल रिक्तियां कितनी थी तथा शासन ने अलग-अलग चरणों में भर्ती प्रक्रिया क्यों की तथा याचिकाकर्ताओ से कम अंक वाले कितने अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्तियां दी गई हैं। राज्य शासन उक्त समस्त जानकारी हाईकोर्ट में आगामी सुनवाई 13/05/24 के पूर्व हाईकोर्ट में प्रस्तुत करे।
•अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ज्ञाताव्य हो कि मध्य प्रदेश में उच्च माध्यमिक (हाई स्कूल ) शिक्षकों के 34789 पद स्वीकृत है, माध्यमिक शिक्षकों (मिडिल स्कूल टीचर ) के 60686 तथा प्राथमिक शिक्षकों के 125243 पद स्वीकृत है वर्तमान में लगभग 63% नियमित पद रिक्त है। जबकि राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 के प्रावधानो तथा NCTE की गाइड लाइन के तहत 10% से अधिक पद रिक्त नहीं रखे जा सकते क्योकि संविधान के अनुच्छेद 21A में शिक्षा का मौलिक अधिकार नागरिकों को प्रदत्त है फिर भी स्कूल शिक्षा विभाग तथा ट्रायबल विभाग, मनमानी करके नियमो को धता बताकर नियुक्तियां की गई है।